शीशम का वृक्ष आयुर्वेद में अनेक रोगों के उपचार के लिए उपयोगी माना गया है। इसके विभिन्न हिस्सों का उपयोग कई प्रकार की बीमारियों को ठीक करने में किया जाता है। यहां हम शीशम के कुछ अनसुने लाभों के बारे में जानेंगे:
1. गृधसी (जोड़ों का दर्द) (Joint Pain)
जोड़ों के दर्द के इलाज के लिए शीशम की छाल का उपयोग किया जा सकता है। शीशम की 10 किलोग्राम छाल का मोटा चूरा बनाकर इसे 23.5 लीटर पानी में उबालें। जब पानी का 8वां भाग शेष रह जाए, तब इसे ठंडा होने पर छानकर फिर से चूल्हे पर चढ़ाकर गाढ़ा करें। इस गाढ़े पदार्थ को 10 मिलीलीटर की मात्रा में घी युक्त दूध पकाने के साथ 21 दिन तक दिन में 3 बार लेने से गृधसी रोग (जोड़ों का दर्द) खत्म हो जाता है।
2. रक्तविकार (Blood Disorder)
शीशम का बुरादा खून की सफाई में मदद करता है। शीशम के 1 किलोग्राम बुरादे को 3 लीटर पानी में भिगोकर रखें, फिर उबाल लें। जब पानी आधा रह जाए, तब इसे छान लें और इसमें 750 ग्राम बूरा मिलाकर शर्बत बना लें। यह शर्बत खून को साफ करता है। शीशम के 3 से 6 ग्राम बुरादे का शर्बत बनाकर रोगी को पिलाने से खून की खराबी दूर होती है।
3. कष्टार्त्तव (मासिक धर्म का कष्ट का आना) (Dysmenorrhea)
मासिक धर्म के दौरान होने वाले कष्ट को दूर करने के लिए शीशम का चूर्ण या काढ़ा उपयोगी होता है। 3 से 6 ग्राम शीशम का चूर्ण या 50 से 100 मिलीलीटर काढ़ा कष्टार्त्तव रोग में दिन में 2 बार सेवन करने से लाभ होता है।
शीशम के यह लाभ आयुर्वेद में सदियों से प्रचलित हैं। इनका सही और नियमित उपयोग करने से कई बीमारियों में राहत मिल सकती है।
Dr. (Vaid) Deepak Kumar
Adarsh Ayurvedic Pharmacy
Kankhal Hardwar
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