चोट और मोच का दर्द अच्छानक हो सकता है, और खासकर जब आप दूर के इलाज की दौड़ में नहीं हैं, तो आयुर्वेदिक नुस्खों का सहारा लेना एक अच्छा विचार हो सकता है। यहां हम कुछ प्राचीन आयुर्वेदिक तरीकों को जानेंगे जो चोट, मोच, और सूजन में राहत प्रदान कर सकते हैं।
आयुर्वेदिक चिकित्सा के फायदे
कपूर और घी का लेप: चोट वाले स्थान पर कपूर और घी की बराबर मात्रा में मिलाकर बांधना दर्द को कम कर सकता है और रक्त बहने को रोक सकता है।
हल्दी का पेस्ट: हल्दी का पेस्ट कटे हुए स्थान पर लगाने से खून का बहाव कम होता है और वायुकोण कीटाणुनाशक गुणों से भरपूर होती है।
तेजपात का उपयोग: चोट में राहत प्रदान करने के लिए तेजपात को पीसकर मोच वाले स्थान पर लगाएं।
अनार के पत्ते: अनार के पत्ते को पिसकर मोच वाले स्थान पर लगाने से दर्द में राहत मिल सकती है।
सरसों के तेल में नमक: सरसों के तेल में थोड़े से नमक को मिलाकर इसे गरम करके मोच वाले स्थान पर लगाने से दर्द में कमी हो सकती है।
अखरोट का तेल: हथेली और पैर की मोच पर अखरोट के तेल का लाभ लें, जिससे दर्द में आराम मिल सकता है।
लहसुन और अजवाइन का तेल: लहसुन और अजवाइन को सरसों के तेल में मिलाकर गरम करें और इसे मोच वाले हिस्से पर मालिश करें।
एलोवेरा जेल: एलोवेरा जेल को सूजन और मोच वाले स्थान पर लगाने से आराम मिल सकता है।
इमली की पत्तियां: इमली की पत्तियों को पीसकर गरम करें और मोच वाले स्थान पर लगाने से दर्द में त्वरित राहत मिल सकती है।
हल्दी और सरसों का तेल: हल्दी और सरसों के तेल को मिलाकर गरम करें और मोच वाले स्थान पर लगाएं, इससे दर्द में कमी हो सकती है।
महुआ और तिल का लेप: महुआ और तिल को कपड़े में बांधकर मोच वाले स्थान पर लगाने से हड्डी की मोच में सुधार हो सकती है।
ढ़ाक के गोंद का लेप: ढ़ाक के गोंद को पानी में मिलाकर लेप बनाएं और इसे चोट में लगाएं, जो सूजन को कम कर सकता है।
यदि आप चोट, मोच, या सूजन के समस्याओं से जूझ रहे हैं, तो डॉक्टर से सलाह लेना हमेशा अच्छा रहता है। डॉ. दीपक कुमार जी के यह आयुर्वेदिक उपचार आपके लिए सहायक हो सकते हैं, लेकिन सबसे अच्छा है कि आपने उचित चिकित्सा परामर्श लिया जाए।
डॉ. दीपक कुमार
आदर्श आयुर्वेदिक फार्मेसी, कांखल, हरिद्वार
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