पानी के बिना जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती है। कहते हैं शरीर को स्वस्थ रखने के लिए दिनभर में कम से कम आठ से दस गिलास पानी जरूर पीना चाहिए। पानी पीना फायदेमंद तो होता ही है, लेकिन तब जब सही मात्रा में और सही तरीके से पिया जाए। अगर पानी को गलत तरीके से पिया जाए या गलत समय में अधिक मात्रा में पिया जाए तो वह शरीर को नुकसान पहुंचा सकता है, ऐसा आयुर्वेद में वर्णित है।
आयुर्वेद को जीवन का विज्ञान माना जाता है। भोजन से लेकर जीवनशैली तक की चर्चाएं इस शास्त्र में समाहित हैं। आज हम आयुर्वेदिक ग्रन्थ अष्टांग संग्रह (वाग्भट्ट) में बताए गए पानी पीने के कुछ कायदों से आपको रूबरू कराने का प्रयास करते हैं। चलिए जानते हैं पानी कब, कैसे और कितना पीना चाहिए।
1. भोजन से पहले पानी पीना
भक्तस्यादौ जलं पीतमग्निसादं कृशा अङ्गताम!!
खाना खाने से पहले यदि पानी पिया जाए तो यह जल अग्निमांद (पाचन क्रिया का मंद हो जाना) यानी डायजेशन में दिक्कत पैदा करता है। इसलिए भोजन से पहले पानी पीने से बचें।
2. भोजन के बाद पानी पीना
अन्ते करोति स्थूल्त्वमूध्र्वएचामाशयात कफम!
खाना खाने के बाद पानी पीने से शरीर में भारीपन और आमाशय के ऊपरी भाग में कफ की बढ़ोतरी होती है। सरल शब्दों में कहा जाए तो खाने के तुरंत बाद अधिक मात्रा में पानी पीने से मोटापा बढ़ता है और कफ संबंधी समस्याएं भी परेशान कर सकती हैं।
3. बुखार में पानी पीना
प्रयातिपित्तश्लेष्मत्वम्ज्वरितस्य विशेषत:!!
आयुर्वेद के अनुसार बुखार से पीड़ित व्यक्ति प्यास लगने पर ज्यादा मात्रा में पानी पीने से बेहोशी, बदहजमी, अंगों में भारीपन, मितली, सांस व जुकाम जैसी स्थिति पैदा हो सकती है। इसलिए बुखार में सही मात्रा में पानी पिएं।
4. आमदोष के लिए पानी पीना
आमविष्टबध्यो :कोश्नम निष्पिपासोह्यप्यप: पिबेत!
आमदोष के कारण होने वाली समस्याओं जैसे अजीर्ण और कब्ज जैसी स्थितियों में प्यास न लगने पर भी गुनगुना पानी पीते रहना चाहिए। यह शरीर को सही रूप से हाइड्रेटेड रखता है और समस्याओं को दूर करता है।
5. खाने के बीच में पानी पीना
मध्येमध्यान्ग्तामसाम्यं धातूनाम जरणम सुखम!!
खाने के बीच में थोड़ी मात्रा में पानी पीना शरीर के लिए अच्छा होता है। आयुर्वेद के अनुसार खाने के बीच में पानी पीने से शरीर की धातुओं में समानता आती है और खाना बेहतर ढंग से पचता है।
6. प्यास लगने पर अधिक पानी पीना
अतियोगेसलिलं तृषय्तोपि प्रयोजितम!
प्यास लगने पर एकदम ज्यादा मात्रा में पानी पीना भी शरीर के लिए बहुत नुकसानदायक होता है। ऐसा करने से पित्त और कफ दोष से संबंधित बीमारियां होने की संभावना बढ़ जाती है।
7. पानी की मात्रा का ध्यान रखना
यावत्य: क्लेदयन्त्यन्नमतिक्लेदोह्य ग्निनाशन:!!
पानी उतना ही पीना चाहिए जो अन्न का पाचन करने में जरूरी हो। दरअसल अधिक पानी पीने से भी डायजेशन धीमा हो जाता है। इसलिए खाने की मात्रा के अनुसार ही पानी पीना शरीर के लिए उचित रहता है।
Dr. (Vaid) Deepak Kumar
Adarsh Ayurvedic Pharmacy
Kankhal Hardwar
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आयुर्वेद के अनुसार पानी पीने के ये नियम आपकी सेहत को सुधारने में मदद कर सकते हैं। सही मात्रा और सही समय पर पानी पीकर आप अपने शरीर को स्वस्थ और तंदुरुस्त रख सकते हैं।