आयुर्वेद में सरसों के तेल के चमत्कारी गुणों का खोज!
1. ह्रदय रोगों का उपचार:
सरसों के तेल में कोलेस्ट्राल के स्तर को कम करने के कारण, ह्रदय रोगों में यह लाभदायक होता है। आयुर्वेद में इसे तिल के तेल के समान महत्वपूर्ण माना जाता है।
2. हाथों की खुशकी और खुदरापन:
हाथों में खुशकी और खुदरापन होने पर सरसों के तेल से हल्की मालिश करें, जिससे त्वचा मुलायम हो जाएगी।
3. शरीर दर्द और थकान का उपचार:
शीत मौसम में सभी उम्र के लोगों को सरसों के तेल से मालिश करना चाहिए, जिससे शरीर दर्द और थकाना कम हो। इससे नींद भी अच्छी आती है।
4. वातजन्य दर्द का उपचार:
सरसों के तेल की मालिश वातजन्य दर्द, जोड़ों का दर्द, गठिया, छाती का दर्द, ब्रोंकाइटिस आदि की पीड़ा में लाभकारी होती है।
5. उबटन बनाएं:
सरसों के तेल को बेसन में मिलाकर उबटन तैयार करें और इसे त्वचा पर मलें, जिससे त्वचा गोरी हो और ताजगी आए।
6. मसूड़ों के रोगों का उपचार:
मसूड़ों के सभी रोगों में सरसों के तेल में मधु (शहद) मिलाकर मालिश करने से राहत मिलती है और दांत मजबूत होते हैं।
7. जुकाम और नाक बंदी का उपचार:
जुकाम और नाक बंद होने पर सरसों के तेल की दो बूंदें नाक के छिद्रों में डालने से बंद नाक खुल जाती है और जुकाम में भी राहत मिलती है।
8. पुरुषों के गुप्तांग में सुधार:
लिंग में ढीलापन या टेढ़ापन होने पर सरसों के तेल की लगातार मालिश से सुधार हो सकता है।
9. वक्षस्थल का ढीलापन:
महिलाओं के छातियों में ढीलापन होने पर सरसों तेल में लहसुन की कली जलाकर बनाएं तेल से मसाज करें, सुबह खाली पेट लहसुन की चार पाँच कलियाँ भी खाएं, जिससे बहुत लाभ होगा।
10. कान दर्द का उपचार:
कान में सरसों तेल गरम करके डालने से कान दर्द ठीक होता है, और अगर कोई कीड़ा घुसा हो तो वह बाहर निकल जाता है।
11. दांतों की सुरक्षा:
सरसों के तेल में सेंधा नमक मिलाकर सुबह-शाम दांतों पर मलने से दांतों से खून आना, मसूड़ों की सूजन, दांतों के दर्द में आराम मिलता है, और दांत भी चमकीले और सुंदर बनते हैं।
12. आँखों की सेहत:
पैरों के तलवों और अंगूठों में सरसों के तेल का लगाना आंखों की ज्योति बढ़ाता है।
13. नींद में सुधार:
रात को हाथ-पैरों में सरसों के तेल का लगाना सोने में मच्छरों को दूर करता है और नींद को बेहतर बनाए रखता है।
14. बालों का संरक्षण:
बालों में सरसों के तेल का लगातार उपयोग करने से बाल मजबूत होते हैं, मोटे और घने होते हैं, और सिर का दर्द भी नहीं होता।
15. पेट के रोगों में लाभ:
नित्य नाभि में सरसों के तेल की दो बूंदें लगाने से पेट से संबंधित रोग कम हो सकते हैं, पाचन क्रिया बेहतर रहती है, और होठ नहीं फटते हैं।
इन सभी उपायों को अपनाकर आप भी अपने रोजगार में आयुर्वेदिक सामग्री से होने वाले लाभों को महसूस कर सकते हैं। डॉक्टर की सलाह लेकर ही कोई भी इलाज शुरू करें और यदि आप इन उपायों का उपयोग कर रहे हैं, तो नियमित रूप से इसे जारी रखें।
डॉ.(वैद) दीपक कुमार
आदर्श आयुर्वेदिक फार्मेसी
काँखल, हरिद्वार
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